Monday 12 December 2011

जागो अगर इंसान हो.....




सर पर तिरंगे का जूनून,
नयी क्रांति का अरमान है,
होंठों पे वन्दे मातरम,
और दिल में हिन्दुतान है,
न जाति है न धर्म है,
न वर्ग की पहचान है,
कुदरत की ही रचना है तू,
कुछ है तो बस इंसान है,
दोष किसको देंगे क्या,
हम खुद ही जिम्मेदार हैं,
चुपचाप देखे जुल्म जो,
वो देश के गद्दार हैं,
काम वतन के न आये,
वो खून नहीं है पानी है,
जो माँ की आन न रख पाए,
वो कैसा हिन्दुस्तानी है,
माटी है ये बलिदानों की,
इसका न अब अपमान हो,
जागो पुकारे अब वतन,
जागो.... जागो अगर इंसान हो.....

ये सन्देश उन जिम्मेदार नागरिकों के लिए है जिनकी आत्मा शायद सोयी हुई है लेकिन अभी मरी नहीं है;

अगर आप दो सौ (200) साल इंतज़ार करना चाहते हैं तो आप ही को मुबारक, मैं नहीं करना चाहता...

अब या तो ये देश बदल जायेगा या मैं बदल जाऊंगा...

और अब मैं बदलने को तैयार नहीं हूँ

अब तो देश को ही बदलना पड़ेगा

भारत महान था, आज भी है, और जब तक इस देश में एक भी देशभक्त ज़िंदा रहेगा, भारत हमेशा महान रहेगा


जय हिंद !

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