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Sunday 27 November 2011

पहाड़ से ऊँचा आदमी – Mountain Man


आज STARS INDIA REVOLUTION पर हम आपको मिलवायेंगे एक ऐसे महान व्यक्ति से जिसके बारे मे सुन कर यकीं नहीं होता कि इस धरती पर ऐसे इंसान भी जन्म लेते हैं.ऐसा साहस, ऐसी दृढ इच्छा शक्ति, ऐसा संयम जो आपने शायद ही पहले किसी और व्यक्ति में देखा होगा.तो आइये मिलते हैं STARS INDIA REVOLUTION के इस महान  REAL HERO से.
आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि “अगर इंसान चाहे तो वह पहाड़ को भी हिला कर दिखा सकता है” .और आज हम आपको ऐसे ही व्यक्ति से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर सच-मुच पहाड़ को हिला कर दिखा दिया है.
 मैं बात कर रहा हूँ गया (Gaya) जिले के एक अति पिछड़े गांव गहलौर(Gahlaur) में रहनेवाले Dashrath Manjhi ( दशरथ मांझी) की। गहलौर एक ऐसी जगह है जहाँ पानी के लिए भी लोगों को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. वहीँ अपने परिवार के साथ एक छोटे से झोपड़े में रहने वाले
पेशे से मजदूर श्री  Dasrath Manjhi ने गहलौर पहाड़ को अकेले दम पर चीर कर 360 फीट लंबा और 30  फीट चौड़ा रास्ता बना दिया. इसकी वजह से गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लाक के बीच कि दूरी 80 किलोमीटर से घट कर मात्र 3 किलोमीटर रह गयी. ज़ाहिर है इससे उनके गांव वालों को काफी सहूलियत हो गयी.

और इस पहाड़ जैसे काम को करने के लिए उन्होंने किसी dynamite या मशीन  का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने तो सिर्फ अपनी छेनी-हथौड़ी से ही ये कारनामा कर दिखाया. इस काम को करने के लिए उन्होंने ना जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना किया, कभी लोग उन्हें पागल कहते तो कभी सनकी, यहाँ तक कि घर वालों ने भी शुरू में उनका काफी विरोध किया पर अपनी धुन के पक्के Dasrath Manjhi ने किसी की न सुनी और एक बार जो छेनी-हथौड़ी उठाई तो बाईस साल बाद ही उसे छोड़ा.जी हाँ सन 1960 जब वो 25 साल के भी नहीं थे, तबसे हाथ मेंछेनी-हथौड़ी लिये वे बाइस साल पहाड़ काटते रहे। रात-दिन,आंधी-पानी कीचिंता किये बिना Dashrath Manjhi नामुमकिन को मुमकिन करने में जुटे रहे. अंतत: पहाड़ को झुकना ही पड़ा. 22 साल (1960-1982) के अथक परिश्रम के बाद ही उनका यह कार्य पूर्ण हुआ. पर उन्हें हमेशा यह अफ़सोस रहा कि जिस पत्नी कि परेशानियों को देखकर उनके मन में यह काम करने का जज्बा आया अब वही उनके बनाये इस रस्ते पर चलने के लिए  जीवित नहीं थी.
दशरथ जी के इस कारनामे के बाद दुनिया उन्हें Mountain Cutter और  Mountain Man के नाम से भी जानने लगी. वैसे पहले भी रेल पटरी केसहारे गया से पैदल दिल्ली यात्रा कर जगजीवन राम औरतत्कालीन प्रधानमंत्रीइंदिरा गांधी से मिलनेका अद्भुत कार्य भी दशरथ मांझी ने किया था. पर पहाड़ चीरने के आश्चर्यजनक काम के बाद इन कामों का क्या महत्व रह जाता है?
हम यहां पर आपको दिखा रहे हैं हिंदी दैनिकहिंदुस्तान में छपादशरथ मांझीजी का interview.
Click on the image to enlarge it

We  appreciate Hindustan News Paper reporter Vijay Kumar  for covering this inspiringgood news in Hindi.



सन 1934 में जन्मे श्री दशरथ मांझी का देहांत 18 अगस्त 2007 को कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए दिल्ली के AIIMS अस्पताल में हुआ.इनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ किया गया. भले ही वो आज हमारे बीच न हों पर उनका यह अद्भुत कार्य आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा .
क्या सन्देश देती है दशरथ मांझी कि ये मिसाल :
  • अगर इंसान चाहे तो सच-मुच पहाड़ हिला सकता है. वह कोई भी बड़ा से बड़ा असंभव दिखने वाला काम कर सकता है.
  • सफलता पाने के लिए ज़रूरी है की हम अपने प्रयास में निरंतर जुटे रहे . बहुत से लोग कभी इस बात को नहीं जान पाते हैं कि जब उन्होंने अपने प्रयास छोड़े तो वह सफलता के कितने करीब थे.
  • सफल होने के लिए संयम बहुत ज़रूरी है. जिंदगी के बाईस साल तक कठोर मेहनत करने के बाद फल मिला दशरथ जी को.
  • कौन कहता है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” …. फोड़ सकता है.
  • निश्चल मन से समाज के लिए काम करने वाले कर्मयोगी अवश्य सफल होते हैं और ऐसे व्यक्ति ही इश्वर के सबसे करीब होते हैं.
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कसेगा सिकंजा फर्जी मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनियों पर

अब होगा भारत निर्माण जब कसेगा सिकंजा फर्जी मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनियों पर , और लागु होगा बन कर कोई ठोस कानून और  SEBI, TRAI  जैसी कोई सरकारी संस्था जो रखेगी इन सब पर अपनी पैनी नजर -  SIR


Friday 25 November 2011

मेरा"भारत"महान है....


      एक अमेरिकन मुझसे बोला भाई साहब बताइये आपका भारत महान है ! तो सँसार के इतने आविष्यकरो मेँ आपके देश का क्या योगदान है ? 
      मैँ बोला रे अमेरिकन सुन,
      सँसार की पहली फायर प्रूफ लेडी भारत मेँ हुई थी !
       नाम था"होलिका"
      आग मैँ जलती नही थी,
      इसलिये उस वक्त फयर ब्रिगेड चलती नही थी !! 
      सँसार की पहली वाटर प्रूफ बिल्डिँग भारत मेँ हुई 
      नाम था भगवान विष्णु शैया"शेषनाग"
      शेषनाग पाताल गये धरती पर रहे"विशेषसनाग "
      दुनिया कi पहल पत्रकार"नारदजी"हुये जो किसी राजव्यवस्थl से नही डरते थे ! तीने लोक की सनसनी खेज रिपोर्टिँग करते थे !! 
      दुनिया के पहले कॉँमेन्टेटर "सँजय" हुऐ 
      जिनहोने नया इतिहास बनाया !
       महाभारत के युद्ध का आँखो देखा हाल 
      अँधे"ध्रतराष्ट" को उन्ही ने सुनाया !! दादागिरी करना भी दुनिया हमने सिखाया 
      क्योँ वर्षो पहले हमारे"शनिदेव"ने ऐसा आतँक मचाया !! कि"हफ्ता"वसूली का रिवाज उन्ही के शिष्यो ने चलाया ! 
      आज भी उनके शिष्य हर शनिवार को आते है ! उनका फोटो दिखाते है हफ्ता ले जाते है !! 
      अमेरिकन बोला दोस्त फालतू की बाते मत बनाओ ! 
      कोई ढँगका आविष्यकार हो तो बताओ !! 
      (जैसे हमने इँसान की किडनी बदल दी, बाईपास सर्जरी कर दी आदि) 
      मैँ बोला रे अमेरिकन सर्जरी का तो आइडिया ही दुनिया को हमने दिया था ! 
      तू ही बता"गणेशजी" का ऑपरेशन क्या तेरे बाप ने किया था!! अमेरिकन हडबडाया, गुस्से मैँ बडबडाया ! देखते ही देखते चलता फिरता नजर आया !! तब से पूरी दुनिया को भान है ! दुनिया मे मुल्क कितने ही हो सब मे
      मेरा"भारत"महान है 
      मेरा"भारत"महान है....

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