Tuesday 11 October 2011

देश बड़ा या हमारा अहम भाव,


    देश बड़ा या हमारा अहम भाव, सही फैसला करने का समय अब आ गया है 
     करना है कुर्बान अपना अहम भाव, मातृभूमी के रक्षा हेतु, सबको भा गया है|
     देश लुट रहा है, जनता पिट रही है, भ्रष्टाचारी साम दाम दंड भेद रहे खेल 
     फस इस कुचाल में होगये हम भ्रमित आपस में भिड रहे खो अपना मेल |
     साथियों, समझो गद्दारों कि चालो को, आओ हो जाये हम सब देशभक्त एक 
     नाकाम हो इनकी कुचाले, एकही मंच से लगाये हुँकार, जागृत अपना विवेक| 
     आजाइये एक ही मंच पर, मिले हमें असली आज़ादी, मत करिये अब निराश|

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