कब तक सोओगे अब तो उठो
जलती मोमबत्ती की गर्माहट से क्यों भ्रष्टों का दिल पिघलने का भ्रम पालते हो, जो करते हो कत्लेआम खुले बाजार उन्हें अहिंसा का पाठ क्यों पढ़ाते हो बदलनी हें यदि तक़दीर भारत की तो अपने अन्दर सोये राणाप्रताप,झाँसी की रानी, बोष को क्यों नही जागते हो...